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अब पिता को ऐसी संपत्ति बेचने से नहीं रोक सकता बेटा, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला Supreme Court

By Meera Sharma

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Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि परिवार का मुखिया कानूनी जरूरतों, जैसे कर्ज चुकाने के लिए पैतृक संपत्ति बेचता है, तो पुत्र या अन्य हिस्सेदार इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकते। यह फैसला एक ऐसे मुकदमे पर आया है जो 54 साल से अदालतों में चल रहा था। जस्टिस ए.एम. सप्रे और एस.के. कौल की पीठ ने इस मामले को खारिज करते हुए हिंदू कानून के प्रावधानों पर आधारित अपना निर्णय सुनाया। इस फैसले से पारिवारिक मुखिया के अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट हुए हैं और यह भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।

54 साल पुराने विवाद का अंत

यह मामला 1964 में शुरू हुआ था जब एक पुत्र ने अपने पिता के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी। विवाद की शुरुआत 1962 में हुई, जब प्रीतम सिंह ने लुधियाना तहसील में अपनी 164 कैनाल जमीन दो व्यक्तियों को 19,500 रुपये में बेच दी थी। इस बिक्री को उनके पुत्र केहर सिंह ने अदालत में चुनौती दी और दावा किया कि यह पैतृक संपत्ति है, जिसे पिता अकेले नहीं बेच सकते, क्योंकि वह भी इसके हिस्सेदार हैं। इस लंबे कानूनी संघर्ष के दौरान, मामले के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने से पहले ही दोनों पक्षों, पिता और पुत्र, की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन उनके उत्तराधिकारियों ने मुकदमा जारी रखा।

हिंदू कानून क्या कहता है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू कानून के अनुच्छेद 254 का हवाला दिया। इस अनुच्छेद के अनुसार, परिवार के मुखिया को कानूनी जरूरतों के लिए पैतृक संपत्ति बेचने का अधिकार है। अनुच्छेद 254(2) विशेष रूप से प्रावधान करता है कि कर्ता (परिवार का मुखिया) चल या अचल पैतृक संपत्ति को बेच सकता है, रेहन रख सकता है और यहां तक कि पुत्र तथा पौत्र के हिस्से को भी कर्ज चुकाने के लिए बेच सकता है। हालांकि, यह कर्ज पैतृक होना चाहिए और किसी अनैतिक या अवैध कार्य के जरिए पैदा नहीं हुआ होना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पारिवारिक व्यवसाय चलाना या अन्य जरूरी उद्देश्य भी कानूनी आवश्यकताओं के तहत आते हैं।

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अदालतों में मामले का सफर

इस मामले ने अदालतों में लंबा सफर तय किया। शुरू में ट्रायल कोर्ट ने केहर सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया और जमीन की बिक्री को रद्द कर दिया। लेकिन जब मामला अपील अदालत में पहुंचा, तो अदालत ने देखा कि जमीन पारिवारिक कर्ज चुकाने के लिए बेची गई थी, जो एक वैध कानूनी आवश्यकता थी। इस आधार पर अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। फिर मामला हाईकोर्ट गया, जहां 2006 में अपील कोर्ट का फैसला बरकरार रखा गया। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी माना कि कानूनी जरूरत के लिए कर्ता संपत्ति को बेच सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रीतम सिंह पर दो पारिवारिक कर्ज थे, जिन्हें चुकाने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी। इसके अलावा, उन्हें खेती की जमीन के सुधार के लिए भी धन की आवश्यकता थी। कोर्ट ने माना कि परिवार के मुखिया होने के नाते, उन्हें इन कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संपत्ति बेचने का पूरा अधिकार था। एक बार यह साबित हो जाने के बाद कि पिता ने कानूनी आवश्यकता के लिए संपत्ति बेची है, पुत्र या अन्य हिस्सेदार उसे चुनौती नहीं दे सकते।

किन परिस्थितियों में पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि पारिवारिक मुखिया कई प्रकार की कानूनी जरूरतों के लिए पैतृक संपत्ति का उपयोग कर सकता है। इनमें पैतृक कर्ज चुकाना, सरकारी देनदारी निभाना, परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करना, पुत्र-पुत्रियों के विवाह का खर्च उठाना, पारिवारिक समारोह या अंतिम संस्कार का आयोजन करना, संपत्ति से जुड़े मुकदमों का खर्च उठाना और गंभीर आपराधिक मामलों में अपना बचाव करने जैसी जरूरतें शामिल हैं। इन सभी उद्देश्यों के लिए संयुक्त परिवार की संपत्ति का हस्तांतरण वैध माना जाता है।

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फैसले का महत्व

यह फैसला भारतीय परिवारों और पैतृक संपत्ति के मामलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे परिवार के मुखिया के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्टता मिली है। साथ ही, यह फैसला यह भी सुनिश्चित करता है कि परिवार के मुखिया को वास्तविक कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की स्वतंत्रता हो। हालांकि, यह फैसला यह भी संकेत देता है कि मुखिया को अपने अधिकारों का उपयोग जिम्मेदारी से करना चाहिए और केवल वास्तविक कानूनी जरूरतों के लिए ही पैतृक संपत्ति का हस्तांतरण करना चाहिए।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी कानूनी मामले में विशेषज्ञ की सलाह लेना सुनिश्चित करें।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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