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बिना इनके इजाजत के नहीं बेच सकते पुश्तैनी जमीन, जानिए कोर्ट का सख्त नियम – Property Rights

By Meera Sharma

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Property Rights

 Property Rights: भारत में जमीन-जायदाद का मामला केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक और पारिवारिक भी होता है। पुश्तैनी संपत्ति, जो हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली होती है, उसमें परिवार के हर सदस्य का हक़ होता है। इस संपत्ति को लेकर अक्सर परिवारों में विवाद उत्पन्न हो जाते हैं, जब कोई एक सदस्य बिना सबकी सहमति के संपत्ति बेच देता है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने स्पष्ट नियम बनाए हैं, जिन्हें समझना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है।

पुश्तैनी और निजी संपत्ति में अंतर

भारत में संपत्ति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहली है स्व-खरीदी संपत्ति, जिसे आपने अपनी मेहनत और कमाई से खरीदा है। इस पर सिर्फ आपका अधिकार होता है। आप इसे अपनी इच्छानुसार बेच सकते हैं, दान कर सकते हैं या वसीयत में दे सकते हैं। दूसरी है पुश्तैनी संपत्ति, जो आपके दादा, परदादा या उनके पूर्वजों से विरासत में मिली है। यह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अंतर्गत आती है।

इस कानून के अनुसार, अगर आप हिंदू, सिख, बौद्ध या जैन धर्म से संबंध रखते हैं और आपको पूर्वजों से कोई संपत्ति मिली है, तो वह पुश्तैनी मानी जाती है। इसमें चार पीढ़ियों का अधिकार होता है – परदादा, दादा, पिता और बेटा। अब सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बाद बेटियों को भी इसमें बराबर का अधिकार मिल गया है।

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क्या एक सदस्य अकेले बेच सकता है?

पुश्तैनी संपत्ति को एक सदस्य अकेले नहीं बेच सकता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो वह कानूनी रूप से गलत है। पुश्तैनी संपत्ति को बेचने के लिए सभी हिस्सेदारों की सहमति अनिवार्य है। उदाहरण के लिए, यदि चार भाई हैं और जमीन उनके दादा की विरासत है, तो बिक्री के लिए चारों भाइयों की सहमति जरूरी है। यदि एक भाई अकेले बेच देता है तो बाकी तीन न्यायालय में जाकर उस बिक्री को रद्द करवा सकते हैं।

न्यायालय का दृष्टिकोण और कानूनी परिणाम

भारतीय न्यायालयों का इस मामले में स्पष्ट रुख है। उनका कहना है कि पुश्तैनी संपत्ति पर सभी उत्तराधिकारियों का समान अधिकार होता है। यदि कोई व्यक्ति बिना सबकी सहमति के संपत्ति बेच देता है, तो अन्य सदस्य न्यायालय में मामला दर्ज करा सकते हैं। ऐसी स्थिति में, बिक्री को अवैध घोषित किया जा सकता है और संपत्ति वापस मिल सकती है। इतना ही नहीं, उस सदस्य पर धोखाधड़ी या संपत्ति विवाद का मुकदमा भी चल सकता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

बेटियों के अधिकार में क्रांतिकारी बदलाव

पहले पुश्तैनी संपत्ति में बेटियों को हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार मिलेगा, चाहे पिता की मृत्यु कानून लागू होने से पहले हुई हो। इस फैसले के अनुसार, बेटी की वैवाहिक स्थिति (शादीशुदा या अविवाहित) इस अधिकार को प्रभावित नहीं करती। यह निर्णय महिलाओं के संपत्ति अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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हिस्से का निर्धारण कैसे होता है?

पुश्तैनी संपत्ति में हर उत्तराधिकारी को समान हिस्सा मिलता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के एक बेटा और एक बेटी है, और उस व्यक्ति के पिता की पुश्तैनी जमीन है, तो दोनों को बराबर हिस्सा मिलेगा। अगली पीढ़ी में, यह हिस्सा उनकी संतानों में आगे बंट जाता है। यह प्रक्रिया पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।

वसीयत और पुश्तैनी संपत्ति

एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पुश्तैनी संपत्ति को वसीयत के जरिए भी किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। इस प्रकार की संपत्ति व्यक्तिगत नहीं, बल्कि परिवार की साझा विरासत होती है। यदि कोई व्यक्ति वसीयत बनाकर पुश्तैनी जमीन सिर्फ एक बेटे या बेटी को देता है, तो अन्य हिस्सेदार इसे न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं और अपना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।

सुरक्षित रहने के लिए क्या करें?

पुश्तैनी संपत्ति से जुड़े विवादों से बचने के लिए, कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। सबसे पहले, पुश्तैनी संपत्ति में सभी हिस्सेदारों की जानकारी रखें। कोई भी लेन-देन करने से पहले परिवार के सभी सदस्यों से सहमति प्राप्त करें। अगर संपत्ति बेचनी है, तो सभी हिस्सेदारों के हस्ताक्षर लेकर ही रजिस्ट्री कराएं। जटिल मामलों में, अनुभवी वकील की सलाह लेना उचित रहेगा।

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भारत में संपत्ति विवादों का मुख्य कारण जानकारी की कमी और पारिवारिक संवाद का अभाव है। यदि आप सभी पहलुओं को समझकर, परिवार के सदस्यों से खुलकर बात करते हैं और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हैं, तो न केवल रिश्ते सुरक्षित रहेंगे बल्कि आप लंबी और थकाऊ कानूनी लड़ाई से भी बच सकते हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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