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पुश्तैनी जमीन या मकान बेचने के लिए किसकी परमिशन लेना जरूरी, जान लें कानून Property Rights

By Meera Sharma

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Property Rights

Property Rights: पुश्तैनी या वंशानुगत संपत्ति का मामला भारत में अत्यंत संवेदनशील होता है। कई परिवारों में इसको लेकर विवाद देखे जाते हैं क्योंकि अधिकतर लोग इससे जुड़े कानूनी नियमों से अनभिज्ञ होते हैं। आज हम बात करेंगे कि पुश्तैनी जमीन या मकान बेचने के लिए किसकी अनुमति जरूरी है और इसके क्या कानूनी प्रावधान हैं।

पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है?

भारत में संपत्ति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है – निजी संपत्ति और वंशानुगत या पुश्तैनी संपत्ति। निजी संपत्ति वह होती है जिसे कोई व्यक्ति स्वयं अपनी कमाई से खरीदता है या उपहार या वसीयत के माध्यम से प्राप्त करता है। इस पर केवल उस व्यक्ति का अधिकार होता है जिसने इसे अर्जित किया है।

दूसरी ओर, पुश्तैनी संपत्ति वह होती है जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिलती है। इस प्रकार की संपत्ति पर परिवार की चार पीढ़ियों – दादा, पिता, पुत्र और पौत्र – का समान अधिकार होता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार, इस पर सभी कानूनी वारिसों का समान हक होता है।

पुश्तैनी संपत्ति बेचने का अधिकार किसका होता है?

कई लोगों के मन में यह भ्रम होता है कि पुश्तैनी संपत्ति का मालिक अकेले उसे बेच सकता है, लेकिन यह एक गलतफहमी है। वास्तव में, वंशानुगत संपत्ति पर सभी उत्तराधिकारियों का बराबर अधिकार होता है – चाहे वे बेटे हों, बेटियां हों या अन्य कानूनी वारिस।

अगर कोई व्यक्ति पुश्तैनी संपत्ति को बेचना चाहता है, तो उसे पहले सभी हिस्सेदारों की लिखित सहमति लेनी होगी। बिना सभी हिस्सेदारों की अनुमति के पुश्तैनी संपत्ति का बिक्री अवैध माना जा सकता है और कानूनी दृष्टि से चुनौती दी जा सकती है।

बिना सहमति बेचने के परिणाम

अगर कोई व्यक्ति बिना सभी हिस्सेदारों की अनुमति के पुश्तैनी संपत्ति बेच देता है, तो इसके गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं। बाकी हिस्सेदार अदालत में जाकर इस बिक्री को चुनौती दे सकते हैं। ऐसे मामलों में, अदालत संपत्ति पर रोक लगा सकती है, सौदा रद्द कर सकती है और संपत्ति को वापस लाने का आदेश भी दे सकती है।

ऐसे विवाद अक्सर लंबे चलते हैं और इसमें समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। इसके अलावा, सबसे बड़ी हानि यह होती है कि इससे परिवार के रिश्तों में दरार आती है और पारिवारिक सद्भाव बिगड़ता है।

परिवार में तनाव और रिश्तों में दरार

पुश्तैनी संपत्ति के मामलों में अक्सर देखा गया है कि जब एक हिस्सेदार बिना दूसरों की राय जाने या उन पर दबाव डालकर संपत्ति बेच देता है, तो इससे परिवार में विवाद बढ़ते हैं। ऐसे में रिश्तों में खटास आती है और मामला अक्सर कोर्ट-कचहरी तक पहुंच जाता है।

इसलिए, पुश्तैनी संपत्ति बेचने से पहले परिवार के सभी सदस्यों के साथ खुली बातचीत और आपसी सहमति बनाना बेहद जरूरी है। इससे न केवल कानूनी जटिलताओं से बचा जा सकता है, बल्कि पारिवारिक सद्भाव भी बना रहता है।

कानूनी सलाह का महत्व

वंशानुगत संपत्ति से जुड़े मामलों में कानून बहुत पेचीदा होते हैं। अक्सर, कानूनी जानकारी की कमी के कारण लोग गलतियां कर बैठते हैं, जिससे संपत्ति का नुकसान, समय और धन की बर्बादी होती है।

इसलिए, पुश्तैनी संपत्ति बेचने या खरीदने से पहले एक अनुभवी वकील से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक योग्य वकील आपको सही मार्गदर्शन दे सकता है और आपको किसी भी प्रकार की कानूनी जटिलताओं से बचा सकता है।

पुश्तैनी संपत्ति के मामले में हमेशा सावधानी बरतें और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें। यह न केवल आपकी संपत्ति को सुरक्षित रखेगा, बल्कि आपके पारिवारिक रिश्तों को भी बचाएगा। याद रखें, सही जानकारी और पारदर्शिता से ही इस प्रकार के मामलों को सुलझाया जा सकता है।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी कानूनी मामले में वकील से सलाह अवश्य लें।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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