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कितने साल बाद किराएदार बन जाता है मकान का मालिक, जानिए प्रोपर्टी पर कब्जे को लेकर क्या है कानून Property Possession

By Meera Sharma

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Property Possession

Property Possession: भारत में संपत्ति किराए पर देना एक बड़ा व्यवसाय है जिससे लोग अच्छी-खासी आमदनी कमाते हैं। चाहे वह आम इंसान हो या मशहूर हस्तियां, कई लोग अपनी अतिरिक्त संपत्ति को किराए पर देकर लाभ कमाते हैं। कुछ तो सिर्फ इसी के व्यापार में लगे हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप एक मकान मालिक हैं और आपने अपना मकान किराए पर दिया है, तो कुछ परिस्थितियों में आप अपनी संपत्ति से हाथ भी धो सकते हैं? सीमा अधिनियम 1963 के तहत एक ऐसा प्रावधान है जिसे प्रतिकूल कब्जा कहते हैं, जिसके अंतर्गत एक किरायेदार आपकी संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है।

प्रतिकूल कब्जे की परिभाषा

प्रतिकूल कब्जा या ‘एडवर्स पजेशन’ एक कानूनी अवधारणा है जिसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की संपत्ति पर लंबे समय तक बिना रुकावट के कब्जा रखता है और संपत्ति का वास्तविक मालिक इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाता, तो कब्जा रखने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। यह सिद्धांत सीमा अधिनियम 1963 में उल्लिखित है, जिसके अनुसार निजी संपत्ति के लिए यह अवधि 12 वर्ष और सरकारी संपत्ति के लिए 30 वर्ष निर्धारित की गई है।

किरायेदार कैसे बन जाता है मालिक

सीमा अधिनियम 1963 के अनुसार, यदि कोई किरायेदार किसी संपत्ति पर 12 साल तक निरंतर कब्जा रखता है और इस अवधि के दौरान मकान मालिक अपने स्वामित्व का दावा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाता है, तो किरायेदार प्रतिकूल कब्जे के आधार पर उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है। यह स्थिति आमतौर पर तब उत्पन्न होती है जब किराए का समझौता समाप्त हो चुका हो या मकान मालिक किराए के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करता है।

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प्रतिकूल कब्जे के लिए आवश्यक शर्तें

प्रतिकूल कब्जे का दावा करने के लिए कुछ विशेष शर्तों का पूरा होना आवश्यक है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण शर्त है कि कब्जा निरंतर होना चाहिए। यदि बीच में कब्जे में कोई बाधा आती है या मालिक द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो 12 साल की अवधि फिर से शुरू हो जाती है। दूसरी शर्त यह है कि कब्जा खुला, स्पष्ट और वास्तविक मालिक के विरुद्ध होना चाहिए। यानी किरायेदार ने मालिक की अनुमति के बिना या उसके विरोध में संपत्ति पर कब्जा बनाए रखा हो।

सरकारी संपत्ति पर भी लागू होता है नियम

यह नियम न केवल निजी संपत्तियों पर बल्कि सरकारी या सार्वजनिक संपत्तियों पर भी लागू होता है। हालांकि, सरकारी संपत्तियों के मामले में यह अवधि 30 साल तक बढ़ जाती है। यानी यदि कोई व्यक्ति 30 साल तक लगातार किसी सरकारी संपत्ति पर कब्जा रखता है और इस दौरान सरकार उस व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करती, तो वह व्यक्ति उस संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है।

मकान मालिकों के लिए सावधानियां

अगर आप मकान मालिक हैं और अपनी संपत्ति किराए पर दी है, तो कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। सबसे पहले, हमेशा लिखित किराया अनुबंध बनाएं और समय-समय पर इसे नवीनीकृत करवाएं। यदि किरायेदार किराया देना बंद कर देता है या अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो तुरंत कानूनी कार्रवाई करें। नियमित रूप से अपनी संपत्ति का निरीक्षण करें और किराएदार से संपर्क बनाए रखें। इससे आप प्रतिकूल कब्जे के खतरे से बच सकते हैं।

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प्रतिकूल कब्जे का कानून भारतीय संपत्ति कानून का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कानून किरायेदारों को कुछ परिस्थितियों में संपत्ति का मालिक बनने का अधिकार देता है। मकान मालिकों के लिए यह जरूरी है कि वे इस कानून के बारे में जानकारी रखें और अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं। सही समय पर सही कार्रवाई करके ही मकान मालिक अपनी संपत्ति को प्रतिकूल कब्जे के खतरे से बचा सकते हैं। याद रखें, यह कानून न केवल मकान मालिकों और किरायेदारों पर लागू होता है, बल्कि कोई भी व्यक्ति जो लंबे समय तक किसी दूसरे की संपत्ति पर कब्जा रखता है, वह इस कानून का लाभ उठा सकता है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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