Personal Loan Rulesआज के समय में पर्सनल लोन लेना बहुत आसान हो गया है। कुछ ही क्लिक या फोन कॉल के जरिए बैंक या वित्तीय कंपनियां लोन मंजूर कर देती हैं। लेकिन जब ईएमआई चुकाने की बारी आती है, तो कई लोग इसमें चूक कर जाते हैं। कुछ लोग जानबूझकर भुगतान टालते हैं, जबकि कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे समय पर भुगतान नहीं कर पाते। आइए जानते हैं कि पर्सनल लोन न चुकाने के क्या परिणाम हो सकते हैं।
क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है सीधा असर
पर्सनल लोन की ईएमआई न चुकाने का सबसे पहला और तुरंत असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। सिबिल स्कोर आपकी वित्तीय स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक है। जैसे ही आप किस्त चुकाने में देरी करते हैं, आपका स्कोर गिरना शुरू हो जाता है। अगर लगातार एक-दो महीने भी आप भुगतान में चूक करते हैं, तो आपका स्कोर 100 से 150 अंक तक गिर सकता है। यदि आपका स्कोर 700 से नीचे चला जाए, तो भविष्य में कोई भी वित्तीय संस्था आपको लोन देने से हिचकिचाएगी।
जानबूझकर लोन न चुकाने पर धारा 420 का मामला
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या फर्जी दस्तावेज के आधार पर लिए गए लोन की किस्तें नहीं चुकाता है, तो यह गंभीर मामला बन सकता है। ऐसी स्थिति में बैंक भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा सकता है। यह एक गंभीर अपराध है जिसके लिए जेल की सजा का प्रावधान है। अदालतों में ऐसे कई मामले आए हैं जहां आरोपी को दोषी करार देकर सजा सुनाई गई है। इसलिए अगर आपने किसी प्रकार की धोखाधड़ी करके लोन लिया है, तो यह आपके लिए गंभीर संकट खड़ा कर सकता है।
कोर्ट के माध्यम से वेतन और संपत्ति जब्ती
यदि आप नियमित रूप से लोन की किस्त का भुगतान नहीं कर रहे हैं और बैंक के नोटिस का जवाब भी नहीं दे रहे हैं, तो बैंक न्यायालय में जा सकता है। कोर्ट में एक सिविल केस दायर करके बैंक आपके वेतन से कटौती या आपकी संपत्ति जब्त करने का आदेश प्राप्त कर सकता है। अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपके वेतन से सीधे कटौती शुरू हो सकती है, जो तब तक जारी रहेगी जब तक पूरा बकाया चुकता नहीं हो जाता। इसी तरह, आपके नाम पर कोई संपत्ति है तो उसे भी न्यायालय के आदेश से जब्त किया जा सकता है।
रिकवरी एजेंट का दौरा
जब आप बार-बार बैंक के कॉल और नोटिस की अनदेखी करते हैं, तो बैंक लोन वसूली के लिए रिकवरी एजेंट भेज सकता है। ये एजेंट आपसे फोन पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके भुगतान का अनुरोध करते हैं। हालांकि कई बार इनकी भाषा और व्यवहार आक्रामक हो सकता है, जिससे ग्राहक को मानसिक तनाव होता है। लेकिन यह याद रखें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में सख्त नियम बनाए हैं, और रिकवरी एजेंट अनुचित व्यवहार नहीं कर सकते।
आरबीआई के नियम और ग्राहक के अधिकार
भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नियम बनाए हैं। इनके अनुसार, किसी भी ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जा सकता। वसूली से पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। ग्राहकों को गाली देना, धमकाना या मारपीट की धमकी देना पूरी तरह से गैरकानूनी है। अगर कोई रिकवरी एजेंट ऐसा करता है, तो ग्राहक इसकी शिकायत सीधे आरबीआई या बैंकिंग लोकपाल से कर सकता है।
भुगतान न कर पाने की स्थिति में क्या करें
अगर आप वास्तव में आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और लोन की किस्त नहीं चुका पा रहे हैं, तो सबसे अच्छा उपाय है कि आप स्वयं बैंक से संपर्क करें। बैंक से बातचीत करके आप लोन पुनर्गठन, अस्थायी राहत या किस्तों में छूट का अनुरोध कर सकते हैं। कई बार बैंक ग्राहकों की समस्याओं को समझकर उन्हें राहत देने के लिए तैयार हो जाते हैं। भागने या संपर्क टालने की बजाय बैंक से बातचीत करना हमेशा बेहतर विकल्प होता है।
पर्सनल लोन लेना और उसका समय पर भुगतान करना आपकी वित्तीय जिम्मेदारी है। अगर आप समय पर भुगतान नहीं करते हैं, तो न केवल आपका क्रेडिट स्कोर खराब होगा, बल्कि आप कानूनी कार्रवाई, वेतन कटौती और संपत्ति जब्ती जैसी गंभीर समस्याओं में भी फंस सकते हैं। इसलिए हमेशा समझदारी से लोन लें और उसका भुगतान समय पर करें।
अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले विशेषज्ञों की सलाह लेना उचित रहेगा।