bank cheque bounce: चेक देते समय हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके बैंक खाते में पर्याप्त राशि मौजूद हो। अगर आपके द्वारा काटे गए चेक की राशि आपके बैंक खाते में मौजूद राशि से अधिक है, तो चेक बाउंस हो जाता है। हालांकि, खाते में पैसों की कमी के अलावा भी चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हस्ताक्षर का मेल न होना, चेक पर अधिक लिखावट या कटाई-छंटाई होना, या चेक की वैधता समाप्त हो जाना। चेक बाउंस एक गंभीर वित्तीय अपराध माना जाता है और इसके लिए जुर्माना, मुआवजा और यहां तक कि जेल की सजा भी हो सकती है। इसलिए चेक जारी करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
चेक बाउंस पर लागू कानूनी प्रावधान
चेक बाउंस से संबंधित मामले निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के तहत आते हैं। इस कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति चेक जारी करता है और वह बाउंस हो जाता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित किया जा सकता है। चेक बाउंस के मामलों में आमतौर पर छह महीने से एक साल तक की सजा होती है, जबकि अधिकतम सजा दो साल तक हो सकती है। इसके अलावा, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अनुसार, अदालत आरोपी को पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश भी दे सकती है। यह मुआवजा चेक की राशि से दोगुना तक हो सकता है।
चेक बाउंस होने पर क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है
जब कोई चेक बाउंस होता है, तो चेक प्राप्तकर्ता (लेनदार) को चेक जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेजने का अधिकार होता है। इस नोटिस में चेक जारीकर्ता को 15 दिनों के भीतर भुगतान करने का समय दिया जाता है। अगर इस अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है, तो चेक प्राप्तकर्ता 15 दिनों बाद और अगले 30 दिनों के भीतर अदालत में मामला दर्ज कर सकता है। यह मामला निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 139 के तहत दर्ज किया जाता है।
क्या चेक बाउंस पर तुरंत जेल होती है
चेक बाउंस एक जमानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जमानत मिल सकती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि चेक बाउंस के मामले में जब तक अदालत का अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक आरोपी को जेल नहीं भेजा जाता है। हालांकि, अगर अदालत आरोपी को दोषी पाती है, तो उसे जेल की सजा सुनाई जा सकती है। चेक बाउंस के मामले में दोषी साबित होने पर आरोपी के बरी होने की संभावना बहुत कम होती है, इसलिए सावधानी बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अपील और अंतरिम मुआवजे का प्रावधान
अगर किसी व्यक्ति को चेक बाउंस के मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो वह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 374(3) के अनुसार 30 दिनों के भीतर सेशन कोर्ट में अपील कर सकता है। अपील के दौरान, धारा 389(3) के अनुसार, आरोपी जमानत पर रिहा हो सकता है और अपनी सजा निलंबित करने की अपील कर सकता है। 2019 में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया, जिसके तहत अंतरिम मुआवजे का प्रावधान जोड़ा गया। इसके अनुसार, चेक बाउंस का आरोपी अपील के समय शिकायतकर्ता को चेक की राशि का 20 प्रतिशत अंतरिम मुआवजे के रूप में दे सकता है। अगर बाद में आरोपी की अपील मान ली जाती है, तो यह राशि उसे वापस मिल जाती है।
सावधानियां और बचाव के उपाय
चेक बाउंस से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। हमेशा सुनिश्चित करें कि आपके बैंक खाते में पर्याप्त राशि हो, विशेषकर उस दिन जब चेक को बैंक में प्रस्तुत किया जाना है। चेक पर हस्ताक्षर करते समय यह सुनिश्चित करें कि वे आपके बैंक रिकॉर्ड में दर्ज हस्ताक्षर से मेल खाते हों। चेक पर किसी भी प्रकार की कटाई-छंटाई या अधिक लिखावट से बचें और चेक की वैधता अवधि का ध्यान रखें। अगर आप जानते हैं कि आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है, तो चेक जारी करने से बचें या पहले अपने खाते में पर्याप्त राशि जमा करें।
चेक बाउंस होने पर क्या करें
अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो तुरंत कार्रवाई करें। नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर भुगतान करने का प्रयास करें। अगर आप भुगतान करने में असमर्थ हैं, तो प्राप्तकर्ता से बात करके समझौता करने का प्रयास करें। कानूनी सहायता लेने पर विचार करें और अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए सभी संबंधित दस्तावेजों को संभालकर रखें। याद रखें, चेक बाउंस एक गंभीर वित्तीय अपराध है और इससे आपकी वित्तीय स्थिति और प्रतिष्ठा दोनों प्रभावित हो सकती हैं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। कृपया विशिष्ट कानूनी मामलों के लिए योग्य वकील से परामर्श करें।