B.Ed Course Rules Change: भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने बीएड कोर्स संचालन के नियमों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं। यह निर्णय उन हजारों छात्रों को प्रभावित करेगा जो शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं। नए नियमों के अनुसार अब कोई भी संस्थान अकेले बीएड कोर्स नहीं चला सकेगा। यह बदलाव शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। नई व्यवस्था का लक्ष्य शिक्षक प्रशिक्षण को अधिक समग्र और व्यावहारिक बनाना है।
एकल उद्देश्यीय कॉलेजों का अंत
नई गाइडलाइन के तहत अब सिर्फ बीएड कोर्स चलाने वाले एकल उद्देश्यीय कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी। अब बीएड कोर्स केवल उन संस्थानों में संचालित होगा जहां अन्य स्नातक कोर्स जैसे बीए, बीएससी, बीकॉम भी चलाए जा रहे हैं। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य छात्रों को व्यापक शैक्षणिक वातावरण प्रदान करना है। मल्टी डिसिप्लिनरी कॉलेजों में छात्रों को विभिन्न विषयों के छात्रों के साथ बातचीत का मौका मिलेगा। इससे उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा और वे बेहतर शिक्षक बन सकेंगे। यह बदलाव शिक्षक प्रशिक्षण को केवल डिग्री प्राप्ति तक सीमित न रखकर उसे अधिक समावेशी बनाता है।
निकटवर्ती कॉलेजों का विलय
नए नियमों के अनुसार जो बीएड कॉलेज तीन से दस किलोमीटर की दूरी के अंदर स्थित हैं, उन्हें आसपास के बड़े डिग्री कॉलेजों में मिला दिया जाएगा। यह कदम छोटे संस्थानों को बचाने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए उठाया गया है। विलय की प्रक्रिया से छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। छोटे कॉलेजों को अब किसी बड़े संस्थान के साथ जुड़कर काम करना होगा। इससे उन्हें बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, योग्य फैकल्टी और आधुनिक शिक्षण सामग्री का लाभ मिलेगा।
चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 2030 तक इस बदलाव को पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा है। 2025 से इस प्रक्रिया की शुरुआत होगी और धीरे धीरे सभी बीएड कॉलेजों को मल्टी डिसिप्लिनरी फॉर्मेट में ढाला जाएगा। यह चरणबद्ध कार्यान्वयन संस्थानों को तैयारी का समय देगा और छात्रों की पढ़ाई में बाधा नहीं आएगी। इस अवधि में कॉलेज अपनी क्षमता बढ़ा सकेंगे और नई आवश्यकताओं के अनुसार खुद को तैयार कर सकेंगे। परिषद का यह दृष्टिकोण व्यावहारिक है क्योंकि यह अचानक बदलाव के बजाय क्रमिक सुधार पर जोर देता है।
प्रवेश संख्या में कमी और गुणवत्ता सुधार
नए नियमों के तहत अब हर बीएड कोर्स में केवल 50 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लिया गया है। कम छात्र संख्या से शिक्षकों पर कम दबाव होगा और वे प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत ध्यान दे सकेंगे। इससे व्यावहारिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। छोटी कक्षाओं में अधिक इंटरैक्टिव सेशन हो सकेंगे और छात्रों को बेहतर सीखने का माहौल मिलेगा।
छोटे संस्थानों के लिए साझेदारी का विकल्प
जिन छोटे बीएड कॉलेजों के पास पर्याप्त छात्र नहीं हैं, उन्हें राहत प्रदान की गई है। ऐसे संस्थान नजदीकी बड़े कॉलेजों के साथ साझेदारी कर सकते हैं। इस व्यवस्था में वे कक्षाओं, पुस्तकालय, स्टाफ और अन्य संसाधनों को साझा कर सकेंगे। यह समझौता दोनों संस्थानों के लिए फायदेमंद होगा और शिक्षा की निरंतरता बनी रहेगी। इससे छोटे संस्थानों का अस्तित्व बचेगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।
अस्वीकरण: यह लेख राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशा निर्देशों पर आधारित है। नियमों में समय के साथ बदलाव संभव हैं। प्रवेश से पहले संबंधित संस्थान और एनसीटीई की आधिकारिक जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।