UPI New Rule 2025: आज के समय में नकद भुगतान की जगह डिजिटल भुगतान ने ले ली है। छोटे से लेकर बड़े हर प्रकार के लेनदेन में लोग यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) का उपयोग कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसकी तेज़ी और सुविधा। बस एक क्लिक के साथ कुछ ही सेकंड में पैसे एक खाते से दूसरे खाते में पहुंच जाते हैं। भारत में यूपीआई की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि आज गली-मोहल्ले की छोटी दुकानों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल तक, सभी जगह यूपीआई स्वीकार किया जाता है। यह डिजिटल क्रांति ने व्यापार और रोजमर्रा के जीवन को पहले से कहीं अधिक आसान बना दिया है।
डिजिटल भुगतान से जुड़ी समस्याएं
हालांकि यूपीआई के इस्तेमाल में तेज़ी आने के साथ कुछ समस्याएं भी सामने आई हैं। सबसे बड़ी समस्या है गलत व्यक्ति या खाते में पैसे ट्रांसफर हो जाना। अक्सर जल्दबाजी में या मोबाइल फोन में गलत नाम से सेव किए गए नंबर की वजह से पैसे गलत व्यक्ति को भेज दिए जाते हैं। इस तरह के गलत ट्रांसफर से न केवल वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि पैसे वापस पाने की प्रक्रिया भी काफी जटिल और समय लेने वाली हो सकती है। कई बार तो लोग अपने पैसे वापस पाने से निराश हो जाते हैं क्योंकि गलत व्यक्ति पैसे लौटाने को तैयार नहीं होता है।
एनपीसीआई का नया नियम क्या है?
इस समस्या को हल करने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने एक नया नियम लागू किया है। इस नए नियम के अनुसार, जब भी आप पीयर-टू-पीयर (P2P) या पीयर-टू-पीयर मर्चेंट (P2PM) ट्रांजैक्शन करेंगे, तो आपको रिसीवर का वही नाम दिखाई देगा जो बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) में दर्ज है। यह नियम 30 जून 2025 से सभी यूपीआई ऐप्स पर लागू हो जाएगा। इससे पहले, मोबाइल फोन में सेव किए गए नाम के आधार पर ट्रांजैक्शन होते थे, जिससे कई बार भ्रम और गलत ट्रांसफर की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।
नए नियम के क्या फायदे होंगे?
इस नए नियम से यूपीआई उपयोगकर्ताओं को कई फायदे होंगे। सबसे पहला और महत्वपूर्ण फायदा यह होगा कि गलत खाते में पैसे भेजने की संभावना बहुत कम हो जाएगी। जब आपको ट्रांसफर से पहले ही बैंक से वेरीफाइड नाम दिखाई देगा, तो आप तुरंत पहचान सकेंगे कि क्या आप सही व्यक्ति को पैसे भेज रहे हैं। इससे न केवल आपका समय बचेगा, बल्कि मानसिक तनाव भी कम होगा जो गलत ट्रांसफर के बाद होता है। साथ ही, बैंकों और एनपीसीआई को मिलने वाली शिकायतों की संख्या में भी कमी आएगी, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
गलती से भेजे गए पैसे वापस कैसे पाएं?
अगर सावधानी के बावजूद भी आपके पैसे गलत खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले, आप उस व्यक्ति से संपर्क करने का प्रयास करें जिसके खाते में गलती से पैसे गए हैं। अगर आप उनका फोन नंबर या अन्य संपर्क विवरण जानते हैं, तो उन्हें अपनी स्थिति बताएं और पैसे वापस करने का अनुरोध करें। अगर यह विकल्प काम नहीं करता, तो आप अपने बैंक में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। बैंक शाखा में जाकर लिखित शिकायत दें और अपने ट्रांजैक्शन का विवरण साझा करें।
एनपीसीआई से संपर्क कैसे करें?
अगर बैंक से भी समाधान नहीं मिलता, तो आप सीधे एनपीसीआई से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आप एनपीसीआई के टोल फ्री नंबर 18001201740 पर कॉल कर सकते हैं या फिर उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वेबसाइट पर “डिस्प्यूट रिड्रेसल” सेक्शन में जाकर अपने ट्रांजैक्शन आईडी और अन्य विवरण भरें। इसके अलावा, जिस यूपीआई ऐप का आपने उपयोग किया था, उसके हेल्प सेक्शन में भी आप अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं, चाहे वह फोनपे हो, गूगल पे हो या फिर पेटीएम।
डिजिटल लेनदेन में सुरक्षा सुझाव
यूपीआई के नए नियम के साथ-साथ, कुछ सामान्य सुरक्षा उपाय अपनाकर आप अपने डिजिटल लेनदेन को और भी सुरक्षित बना सकते हैं। किसी भी ट्रांजैक्शन को पूरा करने से पहले, सदैव दूसरी बार जांच लें कि आप सही व्यक्ति को पैसे भेज रहे हैं। बड़ी राशि के लेनदेन के लिए, पहले छोटी राशि भेजकर पुष्टि कर लें। अपने यूपीआई पिन को कभी भी किसी के साथ साझा न करें और समय-समय पर इसे बदलते रहें। अनजान लिंक या क्यूआर कोड से बचें, क्योंकि इनसे फ्रॉड का खतरा बढ़ जाता है। इन सावधानियों के साथ, आप यूपीआई का सुरक्षित और सहज रूप से उपयोग कर सकते हैं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। अधिक विस्तृत जानकारी के लिए एनपीसीआई की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से संपर्क करें।